बे-सबब बात बढ़ाने की ज़रूरत क्या है बे-सबब बात बढ़ाने की ज़रूरत क्या …
और पढ़ेंतू खुद की खोज में निकल तू खुद की खोज में निकल तू किस लिए हताश है, त…
और पढ़ेंनर हो, न निराश करो मन को कुछ काम करो, कुछ काम करो जग में रह कर कुछ न…
और पढ़ेंअग्निपथ कविता वृक्ष हों भले खड़े, हों घने हों बड़े, एक पत्र छाँह भी, …
और पढ़ेंमत बांटों इंसान को। मंदिर-मस्जिद-गिरिजाघर ने बांट लिया इंसान को धरती बांट…
और पढ़ेंतुम मुझको कब तक रोकोगे कविता मुठ्ठी में कुछ सपने लेकर, भरकर जेबों में आशा…
और पढ़ेंजो बीत गई सो बात गई जीवन में एक सितारा था माना वह बेहद प्यारा था वह डूब…
और पढ़ेंवीर तुम बढ़े चलो कविता - द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी हाथ में ध्वजा रहे बाल दल…
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