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बे-सबब बात बढ़ाने की ज़रूरत क्या है - शाहिद कबीर | Besabab baat badhaane ki
तू खुद की खोज में निकल - तनवीर ग़ाज़ी | tu khud ki khoj me nikal
नर हो, न निराश करो मन को - मैथिलीशरण गुप्त | nar ho na nirash karo man ko
अग्निपथ कविता - हरिवंशराय बच्चन
मत बांटों इंसान को कविता - विनय महाजन
तुम मुझको कब तक रोकोगे कविता | Tum mujhko kab tak rokoge poem
जो बीत गई सो बात गयी कविता | jo beet gayi so baat gayi poem
वीर तुम बढ़े चलो कविता | Veer Tum Badhe Chalo Poem
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